जनाजा उठा है

जनाजा उठा है आज कसमों का मेरी, एक कंधा तो तेरे वादों का भी होना चाहिए !!

तेरी हसरत दिल में

तेरी हसरत दिल में यूँ बस गई है, जैसे अंधे को हसरत आँखों की..

तुझे ही फुरसत ना थी

तुझे ही फुरसत ना थी किसी अफ़साने को पढ़ने की, मैं तो बिकता रहा तेरे शहर में किताबों की तरह..

कितना अच्छा लगता है

कितना अच्छा लगता है , जब कोई कहता है…… अपना ख्याल रखना मेरे लिए !!

हम तो हद से गुजर गए

हम तो हद से गुजर गए तुझे चाहने में,,, तुम्ही उलझे रहे हमें आजमाने में….!

नुमाइश पर बदन की

नुमाइश पर बदन की यूँ कोई तैयार क्यों होता अगर सब घर के हो जाते तो ये बाज़ार क्यों होता..

सारे हुनर हम पर यूँ

ज़ुल्म के सारे हुनर हम पर यूँ आजमाए जुल्म भी सहा हमने और जालिम भी कहलाये|

कोई नहीं है

कोई नहीं है दुश्मन अपना फिर भी परेशान हूँ मैं, अपने ही क्यूँ दे रहे है जख्म इस बात से हैरान हूँ मैं !!

दौड़ती भागती दुनिया का

दौड़ती भागती दुनिया का ये ही तोहफा है… खूब लुटाते रहे अपनापन , फिर भी लोग खफा है ..!!

पैसे गिनने में

पैसे गिनने में उस्ताद हैं ये उंगलियाँ… किसी के आंसू पोंछने में ही क्यूँ बेकार है….??

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