हमने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी… , हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते…. …… ……….
Category: जिंदगी शायरी
मेरी गली से गुजरा.. घर तक
मेरी गली से गुजरा.. घर तक नहीं आया, , , , अच्छा वक्त भी करीबी रिश्तेदार निकला… …… ………..
सबका दिल पिघल सकता है
सबका दिल पिघल सकता है, सिवाय वक्त और तक़दीर के…………
फल तो सब मेरे दरख्तों के पके हैं
फल तो सब मेरे दरख्तों के पके हैं लेकिन इतनी कमजोर हैं शाखें कि हिला भी न सकूँ
मेरे लफ़्ज़ों से न कर मेरे क़िरदार का
मेरे लफ़्ज़ों से न कर मेरे क़िरदार का फ़ैसला; तेरा वज़ूद मिट जायेगा मेरी हकीक़त ढूंढ़ते ढूंढ़ते।
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का, कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने !
गलतफहमियोँ की हद तब हुई….
गलतफहमियोँ की हद तब हुई….जब हमने उनसे कहा. ‘रुको…, मत जाओ’…, और उन्होंने सुना…‘रुको मत…जाओ’…!!
जो चहरे दिखते नहीँ थे
जो चहरे दिखते नहीँ थे मोहल्ले मै.. . . भूकम्प ने सबका दीदार करा दिया ..
जो चेहरे कभी दिखते नही थे मोहल्लों मे।
जो चेहरे कभी दिखते नही थे मोहल्लों मे। भूकंप ने सबका दीदार करा दिया। न नमाज़ दिखी न अज़ान दिखी | न भजन दिखा न कीर्तन दिखा | न हिन्दू दिखा न मुसलमान दिखा…| घर से भागता हुआ बस इंसान दिखा…||
उड़ा दो रंजिशे….
उड़ा दो रंजिशे….इन हवाओं में यारों…. मौसम नही कहता…. कोई किसी से नफरत करे….