ऐसे माहौल मे…दवा क्या है..?दुआ क्या है..?? जहा कातिल ही… खुद पूछें..हुआ क्या है..?हुआ क्या है|
Category: शायरी
ख़्वाबों की पुट्टी से
ख़्वाबों की पुट्टी से ख्वाहिशों की दीवार संवारता हूँ रोज़ ही ज़रुरतें सीलन बनकर उधेड़ देतीं हैं उन्हें|
अजीब सा जहर है
अजीब सा जहर है तेरी यादों मै मरते मरते मुझे सारी ज़िन्दगी लगेगी..!!
अगर ज़िंदगी मे
अगर ज़िंदगी मे कुछ पाना हो तो, अपने तरीके बदलो इरादे नही।
ज्यादा कुछ नहीं
ज्यादा कुछ नहीं बदला ज़िंदगी में , बस बटुए थोड़े भारी और रिश्ते थोड़े हलके हो गए हैं।
हमें जमीर बेचना
हमें जमीर बेचना,आया ही नहीँ वरना, दौलत कमाना इतना भी मुश्किल नहीं ।
वो रखती है
वो रखती है खुद को सबसे छुपाकर .. शायद वो भी खुद को अमानत समझती है मेरी।
वो माचिस की तिल्लियों
वो माचिस की तिल्लियों से खेलते रहे, बिना परवाह किये की दिल मेरा कागज का था !!
बरसात के मकोड़े
बरसात के मकोड़े हमें यही सिखाते है… की…….जिनके पंख लग जाते है वो कुछ ही दिनों के मेहमान होते है ।!
हमने देखे है
हमने देखे है करोड़ो अक्लमंद … हर किसी की सोच रोटी-दाल तक |