न जाने इतनी मोहब्बत

न जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गयी उस अजनबी के लिए..!! की मेरा दिल भी उसकी खातिर अक्सर मुझसे रूठ जाया करता हे ..!!

समंदर ने कहा

समंदर ने कहा मुझको बचा लो डूबने से… मैं किनारे पे समन्दर लगा के आया हूँ…

उसके जैसी कोई

उसके जैसी कोई दूसरी कैसे हो सकती है, अब तो वो खुद भी खुद के जैसी नहीं रही !!

आ बैठ मेरे पास

आ बैठ मेरे पास बरबाद अब कुछ रातें करते हैं बन जा तू शब्द मेरे फिर दिल की, दिल से कुछ बातें करते हैं……

इश्क़ के आगोश में

इश्क़ के आगोश में आने वालों सुनो, नींद नहीं आती बिना महबूब की बाहों के..

जो कोई समझ न सके

जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम, जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम, छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर, जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम।

कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब

कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब सोचिये ! पाठशाला से ज्यादा तो मधुशाला हैं इस शहर मे

धीमी-धीमी नस चलें

धीमी-धीमी नस चलें, रुक-रुक करके श्वास। जीने की अब ना रही, थोड़ी सी भी आस।।

रह रह कर मुझको

रह रह कर मुझको रुलाती है वो , आसमां से मुझको बुलाती है वो।

न रुकी वक़्त की गर्दिश

न रुकी वक़्त की गर्दिश और न ज़माना बदला…… पेड़ सूखा तो परिन्दों ने भी ठिकाना बदला……

Exit mobile version