तोङ दिए मैने अपने घर के सारे आइने आज

तोङ दिए मैने अपने घर के सारे आइने आज….. . प्यार मेँ ठुकराए लोग मुझसे देखे नहीँ जाते…..

आज हम अकेले है तेरे बगैर

आज हम अकेले है तेरे बगैर दिल बे – करार है आज तेरे बगैर वक्त नहीं रुकता कभी किसी के लिए पर धड़कने रुक जायेगी आज तेरे बगैर …

ना जाने कौन कौन से

ना जाने कौन कौन से विटामिन और प्रोटीन हैं तुझ में….? जब तक तेरा दीदार न कर लूँ तब तक बैचेनी रहती है

खौफ अब खत्म हुआ

खौफ अब खत्म हुआ सबसे जुदा होने का, अपनी तन्हाई में हम, अब मशरूफ बहुत रहते हैं..

नादानियाँ झलकती हैं

नादानियाँ झलकती हैं अभी भी मेरी आदतों से, मैं खुद हैरान हूँ के मुझे इश्क़ हुआ कैसे…!!!

जलवे तो बेपनाह थे

जलवे तो बेपनाह थे इस कायनात में… ये बात और है कि नज़र तुम पर ही ठहर गई…!

कैसे ना मर मिटू उस पे यारो

कैसे ना मर मिटू उस पे यारो … रूठ कर भी कहता है संभल कर जाना…!

इक मुद्दत से किसी ने दस्तक नहीं दी है

इक मुद्दत से किसी ने दस्तक नहीं दी है । मैं उसके शहर में बंद मकान की तरह हूँ ।।

कहते हैं ईश्क एक गुनाह है

कहते हैं ईश्क एक गुनाह है, जिसकी शुरूआत, दो बेगुनाहो से होती है..

इस साल गर्मी तो बहुत पड़ रही है

इस साल गर्मी तो बहुत पड़ रही है…. . . . . फिर भी तेरा दिल पिघलने ….का नाम ही नहीं ले रहा.

Exit mobile version