मुखौटे बचपन में देखे थे, मेले में टंगे हुए, समझ बढ़ी तो देखा लोगों पे चढ़े हुए…!!
Category: लव शायरी
ग़ज़ल में इश्क़ की बूंदे
ग़ज़ल में इश्क़ की बूंदे ? दूर रखो तेज़ाब सी लगती है ।
गली से गुज़रने का
गली से गुज़रने का एक वक़्त मुक़र्रर कर लो, दीवार से खड़े खड़े मेरे पैर दुखने लगते है!!
तुम तो शरारत पे
तुम तो शरारत पे उतर आए, ये कैसी चाहत पे उतर आए……., दिल क्या दिया तुम्हें अपना, तुम तो हुकूमत पे उतर आए…..
तुम अकेले क्या इश्क़ करोगे
तुम अकेले क्या इश्क़ करोगे आओ आधा-आधा कर लेते है|
इन कागज़ के टुकड़ों से
इन कागज़ के टुकड़ों से नहीं छुपती हकीकत उनकी, चेहरे की चमक बयां करती है उनकी रूह की तासीर क्या है…।।
सँवारती है सदा
सँवारती है सदा जिस की चाहत मुझको मेरी दुआ है की मैं उसकी हसरतों में रहूँ…
मशरूफ रहने का
मशरूफ रहने का अंदाज़ तुम्हें तनहा ना कर दे ग़ालिब, रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं…।
तुम नही समझोगे
तुम नही समझोगे हाल ए दिल मेरा…. ये रो रहा है लबों को हँसाने की कोशिश में!!
जिंदगी की राह
उसके ख़याल उसके तसव्वुर का शुक्रिया …. कि जिंदगी की राह कुछ आसान हो गई !!