मेरे शहर में खुदाओं

मेरे शहर में खुदाओं, की कमी नही है.. दिक्कत तो मुझे आज भी, इंसान ढूंढ़ने में आती है..!!

कागज से मात खाई है

सफेद और काले ने क्या बिसात बिछायी है,,,?? कागज ने कागज से मात खाई है

ख़ुशीयो का दौर भी

ख़ुशीयो का दौर भी आ जाएगा एक दिन, ग़म भी तो मिल गये थे तमन्ना किये बगैर ……

फूल बन जाऊंगा..

फूल बन जाऊंगा.. शर्त ये है मगर.. अपनी जुल्फों में मुझको सजा लीजिए

मत पूछ के किस तरह

मत पूछ के किस तरह से चल रही है जिन्दगी तेरे बिना ! उस दौर से गुजर रहे है……जो गुजरता ही नही !!

सितारे भी जाग रहे हो

सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई नाहो! ऐ चाँद मुझे वहाँ ले चल जहाँ उसके सिवा कोई ना हो!

मैं शब्दों से

मैं शब्दों से कहीं ज्यादा हूँ… इक बार सृजन करके देखो मुझे… ज़िन्दगी और ज़िन्दगानी में फ़र्क बूझ पाओगे…

कुछ तहखानों में

कुछ तहखानों में चाह कर भी अँधेरा भरा नहीं जा सकता… यकीन न आये तो चले आओ मुझमें… मेरे शब्दों का पीछा करते हुए … मध्यम आंच में चाँद सुलगा रखा है…

हर एक दर्द को

हर एक दर्द को आंसू नहीं मिलते गमो का भी मुक़्क़दर होता है साहेब|

अनपढ़ बन्दा हूँ

अनपढ़ बन्दा हूँ मोहतरमा, तेरे सिवा कुछ आता ही नही…..!!

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