रिश्ता कौन सा है..

निभाते नही है..लोग आजकल..! वरना..इंसानियत से बड़ा रिश्ता कौन सा है..

ये खुली-खुली सी जुल्फें

ये खुली-खुली सी जुल्फें, इन्हें लाख तुम सँवारो,…. जो मेरे हाथ से सँवरतीं, तो कुछ और बात होती!!..

जो आने वाले हैं

जो आने वाले हैं मौसम, उन्हें शुमार में रख… जो दिन गुज़र गए, उन को गिना नहीं करते…

एक अरसा गुजर गया

एक अरसा गुजर गया तुम बिन फिर तेरी यादे क्यों नहीं गुजर जाती इस दिल से |

छलक पड़ेंगे आँसू

जो जरा किसी ने छेड़ा तो छलक पड़ेंगे आँसू.. कोई मुझसे ये ना पूछें मेरा दिल उदास क्यूँ है..

उसके लहजे बताते है..

हर शख्श नहीं होता अपने चेहरे की तरह, हर इंसान की हकिकत उसके लहजे बताते है..

रखा करो नजदीकियां

रखा करो नजदीकियां, ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं. . . . फिर मत कहना चले भी गए… और बताया भी नहीं. . . !

खतों से मीलों सफर

खतों से मीलों सफर करते थे जज़्बात कभी, अब घंटों बातें करके भी दिल नहीं मिलते…!

बड़ी से बड़ी मुसीबत

क़ाबिलियत, ताक़त को ज़िन्दा रखिये…. तराशिये….धूल मत जमने दीजिये… ऐसा करेंगे तो बड़ी से बड़ी मुसीबत आने पर भी ऊँची उड़ान भर पायेंगे |

कीमत हो ज़रूरी तो नहीं।

उस को भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं, इश्क़ ही इश्क़ की कीमत हो ज़रूरी तो नहीं।

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