दिन मेँ रौशनदान

उसने अपनी झोपड़ी का छप्पर कुछ इस प्रकार खोल रखा है… कि यही दिन मेँ रौशनदान और रात मेँ उसका पंखा है…

चलो शुरू करते हैं

चलो शुरू करते हैं वो हसीन साथ आज फिर से और कसम खाते हैं ना खाएंगे निभाने की कसम।

किस्से तो मेरे

किस्से तो मेरे सरेआम मशहूर है दिल लगी के….. पर दिल ये नादान किस्सों पे नहीं तुझपे मरता है।।

ना दिल से होता है

ना दिल से होता है, ना दिमाग से होता है; ये प्यार तो इत्तेफ़ाक़ से होता है; पर प्यार करके प्यार ही मिले; ये इत्तेफ़ाक़ भी किसी-किसी के साथ होता है।

बिना मतलब के

बिना मतलब के दिलासे भी नहीं मिलते यहाँ , लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं !

भले थे तो

भले थे तो किसी ने हाल त़क नहीं पूछा, बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चरचे हैं !!!

लोग उतनें ही

जितनी भीड़ , बढ़ रही ज़माने में । लोग उतनें ही, अकेले होते जा रहे हैं…!

ज़िन्दगी एक सफ़र

ज़िन्दगी एक सफ़र है,आराम से चलते रहो उतार-चढ़ाव तो आते रहेंगें, बस गियर बदलते रहो

सफर का मजा लेना

सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए और जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए !!

तज़ुर्बा है मेरा

तज़ुर्बा है मेरा…. मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है, संगमरमर पर तो हमने …..पाँव फिसलते देखे हैं…!

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