जी में जो आती है कर गुज़रो कहीं ऐसा न हो कल पशेमाँ हों कि क्यों दिल का कहा माना नहीं.
Category: दर्द शायरी
तेरी यादो का सैलाब
वक़्त-बेवक़्त तेरी यादो का सैलाब तौबा, बहा ले जाता है ,सुकूं मेरी तन्हा रातो का|
ज़माने के काम
हम सायादार पेड़ ज़माने के काम आये जब सूखने लगे तो जलाने के काम आये तलवार की नयाम कभी फेंकना नहीं मुमकिन है दुश्मनों को डराने के काम आये कच्चा समझ के बेच न देना मकान को शायद कभी ये सर को छुपाने के काम आये।
जीने की लिए
जीने की लिए जैसे एक मुस्कुराहट ही काफी है मरने की लिए वैसे ही एक गम की काफी है कभी कभी एक गम पर एक मुस्कान ही काफी है उसी तरह अगर मुस्कान अगर गम से पिछड़ जाए वो गम उसे वहां ले जाता है जहाँ उसे नही जाना चाहिए|
हुआ करता था
हुआ करता था एक ‘आशीक’……..अब लोग उसे, शराबी कहते है …
क्या करेंगे मुस्कुराहट को
क्या करेंगे मुस्कुराहट को ले कर अब तो बरसो से गम की बरसात में जीने की आदत सी ही गई है|
मुस्कुराहट लबौं पर
मुस्कुराहट लबौं पर यु हीं नहीं आती उसे भी किसी नज़र का इंतज़ार होता हैं
ना हम रोने में
ना हम रोने में रहे ना हम हंसने में रहे कितना हसीन है मेरा वजूद जिसमे कोई अपना ना रहा
मेरे होंटो पर
मेरे होंटो पर जो खिलती मुस्कुराहट है,ये दरअसल इक गम छुपाने की साजिश है…
कहानी अजीब है
कहानी अजीब है पर यही हकीकत है.. वो बहुत बदल गया है वादे हज़ार करके