कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन…
के सिर्फ दो उंगलिया जुडने से
दोस्ती फिर शुरू हो जाती थी|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कितने खुबसूरत हुआ करते थे बचपन के वो दिन…
के सिर्फ दो उंगलिया जुडने से
दोस्ती फिर शुरू हो जाती थी|