इंतहा आज इश्क़ की कर दी
आपके नाम ज़िन्दगी कर दी
था अँधेरा ग़रीब ख़ाने में
आपने आ के रौशनी कर दी
देने वाले ने उनको हुस्न दिया
और अता मुझको आशिक़ी कर दी
तुमने ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे बिखरा कर
शाम रंगीन और भी कर दी|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इंतहा आज इश्क़ की कर दी
आपके नाम ज़िन्दगी कर दी
था अँधेरा ग़रीब ख़ाने में
आपने आ के रौशनी कर दी
देने वाले ने उनको हुस्न दिया
और अता मुझको आशिक़ी कर दी
तुमने ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे बिखरा कर
शाम रंगीन और भी कर दी|