ज़िन्दगी जाने कब से गुनगुना रही है कुछ कानों में ….
ज़िम्मेदारियों के शोर में, कुछ सुनाई नहीं देता..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़िन्दगी जाने कब से गुनगुना रही है कुछ कानों में ….
ज़िम्मेदारियों के शोर में, कुछ सुनाई नहीं देता..