रिवाज़ तो यही हैं

रिवाज़ तो यही हैं दुनिया का,

मिल जाना बिछड़ जाना,

तुमसे ये कैसा रिश्ता हैं,

ना मिलते हों, ना बिछड़ते हों !

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