रिवाज़ तो यही हैं दुनिया का,
मिल जाना बिछड़ जाना,
तुमसे ये कैसा रिश्ता हैं,
ना मिलते हों, ना बिछड़ते हों !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रिवाज़ तो यही हैं दुनिया का,
मिल जाना बिछड़ जाना,
तुमसे ये कैसा रिश्ता हैं,
ना मिलते हों, ना बिछड़ते हों !