बदनसीबों का कफन

इसे मुहब्बत का दर्दो-गम कहिए
या बदनसीबों का कफन कहिए

जो खो गया है वही बस है अपना
जो बचा है उसे वहम कहिए

जब दीवारों में कोई अपना दिखे
उसे ही दुनिया में सनम कहिए

चाहत में जो आपके लिखता है गजल
ऐसे शायर को न बेरहम कहिए

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