ज़रा तल्ख़ लहज़े में

ज़रा तल्ख़ लहज़े में बात कर ज़रा बेरुख़ी से पेश आ,

मैं इसी नज़र से तबाह हुआ हू मुझे देख न यूँ प्यार से…

1 comment

  1. मिलिंद जी आपकी यह शायरी वाकई बेहद प्यारी है…….आपने नज़रों को संबोधित करके इस शायरी की रचना की…..ऐसी ही एक शायरी शायरी भी आप शब्दनगरी
    के माध्यम से पढ़ व अपने विचारों और शायरी को व्यक्त कर सकतें हैं ……

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