सख़्त हाथों से भी…

सख़्त हाथों से भी….
छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ….
रिश्ते ज़ोर से नहीं….
तमीज़ से थामे जाते हैं…

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version