शोक नही है मुझे जज्बातों को यूँ सरेआम लिखने का मग़र क्या करूँ जरिया बस यही है अब तुझसे बात करने का|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शोक नही है मुझे जज्बातों को यूँ सरेआम लिखने का मग़र क्या करूँ जरिया बस यही है अब तुझसे बात करने का|