लड़ के थक चुकी हैं

लड़ के थक चुकी हैं जुल्फ़ें तेरी

छूके उन्हें आराम दे दो,

क़दम हवाओं के भी तेरे गेसुओं से

उलझ कर लड़खड़ाने लगे हैं!

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version