दो चार नहीं मुझे सिर्फ एक ही दिखा दो साहब,
वो शख्स जो अन्दर से भी बाहर की तरह दिखता हो |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दो चार नहीं मुझे सिर्फ एक ही दिखा दो साहब,
वो शख्स जो अन्दर से भी बाहर की तरह दिखता हो |