मुस्कुरा देता हूं अक्सर देख कर पुराने खत तेरे..
तु झुठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुस्कुरा देता हूं अक्सर देख कर पुराने खत तेरे..
तु झुठ भी कितनी सच्चाई से लिखती थी…!!