आज़माइश की मुसलसल चोट से
ज़िन्दगी के पेंच ढीले हो गये
पीते-पीते सब्र की कड़वी दवा
ख़्वाहिशों के जिस्म नीले हो गये|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आज़माइश की मुसलसल चोट से
ज़िन्दगी के पेंच ढीले हो गये
पीते-पीते सब्र की कड़वी दवा
ख़्वाहिशों के जिस्म नीले हो गये|