दर्द से शिकवा नहीं

मुझे दर्द से शिकवा नहीं है ए खुदा… बस दर्द में मुस्कुराने की अदा मुझे बख्शते रहना…॥

याद करके सोता हूँ

ये सोचाकर रात में सब को याद करके सोता हूँ… ना जाने कौन सी रात जीवन की आखरी रात हो॥

मेरी मोहब्बत से

इतनी नफरत थी उसे मेरी मोहब्बत से , उसने हाथ जला डाले,मुझे तक़दीर से मिटाने के लिए.

सात जन्मों तक

सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा करने वाले, ‘रोमिंग’ में जाते ही फोन उठाना छोड़ देते है!!

त्याग दी सब ख्वाहिशे

त्याग दी सब ख्वाहिशे, निष्काम बनने के लिए,.. राम ने खोया बहुत कुछ, श्रीराम बनने के लिए…।।

कुछ बेर चुन लें

चलो कुछ बेर चुन लें कल अपने काम आएँगे, हम सब की झोंपड़ी में भी कभी तो राम आएँगे…

मैँ कभी बुरा नही

मैँ कभी बुरा नही था……… उसने मुझे बुरा कह दिया फिर मैँ बुरा बन गया ताकी उन्हे कोई झुठा ना कह दे।

इतनी नफरत थी

इतनी नफरत थी उसे मेरी मोहब्बत से ,उसने हाथ जला डाले,मुझे तक़दीर से मिटाने के लिए.

जिसका दिल चाहे

ख़ुदा जाने किस ‘दर’ का चिराग़ हूँ मैं.. जिसका दिल चाहे ‘ज़ला’ के छोड़ देता है.

सुना है काफी

सुना है काफी पढ़ लिख गए हो तुम, कभी वो बी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते !!

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