यादे रब सिकंदर के हौसले तो आली थे.. जब गया था दुनिया से दोनों हाथ खली थे ।।
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वक्त के पंजे से
वक्त के पंजे से बचकर कोई कहाँ गया है । जरा मिट्टी से तो पूछो सिकंदर कहाँ है।
मोहब्बत में इन्तिज़ार
तमाम जिस्म को आँखें बनाकर राह तको तमाम खेल मोहब्बत में इन्तिज़ार का है………..
जख्मो पर नमक
मलहम नही तो हमारे जख्मो पर नमक ही लगा दे. हम तो तेरे छूने से ही ठीक हो जायेंगे ..
उस रात से
उस रात से मैंने सोना ही छोड़ दिया ‘ दोस्त’… जिस रात उस ने कहा के सुबह आंख खुलते ही मुझे भूल जाना…
काश पलट के
काश पलट के पहुच जाउ बचपन की उन वादीओ में जहा ना कोई ज़रूरत थी ओर ना कोई ज़रूरी था…
यूँ ही नही कहते
यूँ ही नही कहते की एक लड़का और लड़की दोस्त नही होते। उन दोनों में किसी ने तो एक-तरफा इश्क किया है ग़ालिब ।
इन्सान कम थे क्या
इन्सान कम थे क्या.. जो अब मोसम भी धोखा देने लगे..
वाह रे खुदा
वाह रे खुदा तेरे बनाये बंदो की फितरत पर रोना आया मुझे तो खिलौनो से खेलने का शौंक था, उसने मुझे ही खिलौना बनाया……….
टूटे हुए प्याले में
टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता इश्क़ में मरीज को आराम नहीं आता ऐ मालिक बारिश करने से पहले ये सोच तो लिया होता के भीगा हुआ गेहू किसी काम नहीं आता