वो शख्स भी

वो शख्स भी क्या अदब से डूबा, दरिया सामने था और तलब से डूबा….

यू गलत भी

यू गलत भी नहीं होती ,चेहरे की तासीर साहिब लोग बैसे भी नहीं होते,जैसे नजर आते है

बरसों से खामोश हूं.

लोग कहते हैं कि समझो तो..खामोशियां भी बोलती हैं..! मै बरसों से खामोश हूं..और वो बरसों से बेखबर है..!!

सब सो गये

सब सो गये अपने हाले दिल बयां करके अफसोस की मेरा कोई नहीं जो मुझसे कहे तुम क्यों जाग रहे हो..

आओ एक मुलाकात

बहुत खामिया निकालने लगे हो आजकल मुझमे, .. आओ एक मुलाकात “आईने” से जरा तुम भी कर लो..।।

इंसान बनाया जाए

अब तो मजहब कोई ऐसा चलाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए..

जिन्दगी की अच्छी चीजें

कहीं ऐसा ना हो कि जिन्दगी की अच्छी चीजें, आपकी जिन्दगी की सबसे अच्छी चीज को ख़त्म कर दे..

हम तो लिख देते

हम तो लिख देते हैं जो भी ज़हन में आता है, दिल को छू जाए तो इत्तफाक ही समझिए……!!

एहसास होता हैं

चलती रेल में खिड़की के पास बैठकर एहसास होता हैं, मानों जो जितना करीब हैं, वो तेज़ी से दूर जा रहे है..!!!

अभी तो बहुत दूर

अभी तो बहुत दूर तक जाना है कई रिश्तों को भुलाना है मेरी मंजिल है बहुत दूर क्योंकि मुझे तो अलग पहचान बनाना है ।

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