अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का

अंदाज़ कुछ अलग हैं मेरे सोचने का , सब को मंजिल का शौक है और मुझे रास्तों का .

इश्क का बँटवारा रज़ामंदी से हुआ

इश्क का बँटवारा रज़ामंदी से हुआ…!!! चमक उन्होने बटोरी… तड़प हम ले आए…!!!

कभी जो थक जाओ तुम दुनिया

कभी जो थक जाओ तुम दुनिया की महफिलों से, तो हमें आवाज़ दे देना…हम आज भी अकेले रहते है ॥

अच्छा हुआ जिसे चाहा

अच्छा हुआ जिसे चाहा…. उसके नही हुए…… नही तो हम गुलाम ही हो जाते…..

कुछ कह रही हैं आप के सीने की धड़कनें

कुछ कह रही हैं आप के सीने की धड़कनें मेरा नहीं तो दिल का कहा मान जाइए

कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे

कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे, जाम हो जाए तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए

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