मुझे इस बात का

मुझे इस बात का ग़म नहीं की तुमबेवफा निकले,अफसोस तो इस बात का हैं कि लोग सच निकले…

कुछ तो शराफत सीख ले

कुछ तो शराफत सीख ले ऐ ‘मोहब्बत’ शराब से, बोतल पे कम से कम लिखा तो है कि मैं जानलेवा हूँ..

नसीहते न दो

नसीहते न दो, हम इश्क़ करने वालो को , ये आग और भी भड़क जायेगी कह दो बुझाने वालो से

झुठी शान के परिंदे

झुठी शान के परिंदे ही ज्यादा फड़फड़ाते हैं, तरक्की के बाज़ की उडान में कभी आवाज़ नहीं होती।

तमाम रिश्तों को

तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया हूँ, उस के बाद मुझे कोई अजनबी नहीं मिला|

उसे जो लिखना होता है

उसे जो लिखना होता है, वही वो लिख के रहती है, क़लम को सर कलम होने का कोई डर नहीं होता।

उस ज़ुल्फ़ के फंदे

उस ज़ुल्फ़ के फंदे से निकलना नहीं मुमकिन, हाँ माँग कोई राह निकाले तो निकाले|

पढ़ते क्या हो

पढ़ते क्या हो आंखों में मेरी कहानी…. मस्ती में मगन रहना तो आदत है मेरी पुरानी…

मैं क्यों कहूँ

मैं क्यों कहूँ उससे की मुझसे बात करो..! . क्या उसे नहीं मालूम की उसके बिना मेरा दिल नहीं लगता ….!!!!

अपने अहसासों को

अपने अहसासों को ख़ुद कुचला है मैंने, क्योंकि बात तेरी हिफाज़त की थी.!

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