शाम का वक्त

शाम का वक्त हो और ‘शराब’ ना हो…! इंसान का वक्त इतना भी ‘खराब’ ना हो…!!

खुशबू बता रही है

खुशबू बता रही है,,,,, वो शख्स दरवाजे तलक आया था

ये ख्वाब है

ये ख्वाब है, खुश्बू है, के झोंका है के तुम हो…! ये धुंध है, बादल है, के साया है, के तुम हो …

तू चाहे कितनी भी

तू चाहे कितनी भी तकलीफ दे दे….!!! सुकुन भी सिर्फ उसी के पास ही मिलता है…!!

तुमसे किसने कह दिया

तुमसे किसने कह दिया कि मुहब्बत की बाजी हार गए हम? अभी तो दाँव मे चलने के लिए मेरी जान बाकी है !

सब कहते हैं

सब कहते हैं ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार प्यार करना चाहिए लेकिन तुमसे तो मुझे बार बार प्यार करने को दिल चाहता है।

खूश्बु कैसे ना आये

खूश्बु कैसे ना आये मेरी बातों से यारों मैंने बरसों से एक ही फूल से जो मोहब्बत की है ।

हम कब के मर चुके

,हम कब के मर चुके थे जुदाई में ऐ अजल….जीना पड़ा कुछ और तेरे इन्तिजार में….

समुद्र बड़ा होकर भी

समुद्र बड़ा होकर भी, अपनी हद में रहता है, जबकि इन्सान छोटा होकर भी अपनी हद भूल जाता है…

कभी कभी धागे

कभी कभी धागे बड़े कमज़ोर चुन लेते है हम ! और फिर पूरी उम्र गाँठ बाँधने में ही निकल जाती है ….!!!

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