कुछ तो सोचा होगा कायनात ने तेरे-मेरे रिश्ते पर… वरना इतनी बड़ी दुनिया में तुझसे ही बात क्यों होती….
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तेरे गुरूर को
तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने, जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह…!!
हम रोने पे आ जाएँ
हम रोने पे आ जाएँ तो दरिया ही बहा दें, शबनम की तरह से हमें रोना नहीं आता…
कुछ कम है।
मुक्कम्मल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है।
अख़बार का भी
अख़बार का भी अजीब खेल है, सुबह अमीरों की चाय का मजा बढाती है, रात में गरीबों के खाने की थाली बन जाती है।
ज़िन्दगी को समझने में
ज़िन्दगी को समझने में वक़्त न गुज़ार, थोड़ी जी ले पूरी समझ में आ जायेगी।
गर आदमी की नियत
गर आदमी की नियत बुरी है समझो , जमाने में हैसियत उसकी बहुत बड़ी है
देख कर मुझे
देख कर मुझे गुम हो गई ” मुझ में परछाई ने मेरे अँधेरा देख लिया
आँख पर शीशा
आँख पर शीशा लगाया है कि महफ़ूज़ रहे…..!!! तेरी तस्वीर जो पानी में बनाई हुई है…..!!!
मैं ख्वाहिश बन जाऊँ
मैं ख्वाहिश बन जाऊँ और तू रूह की तलब बस यूँ ही जी लेंगे दोनों मोहब्बत बनकर.