बच न सका ख़ुदा भी मोहब्बत के तकाज़ों से,एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला|
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यूँ सामने आकर
यूँ सामने आकर ना बैठा करो.. सब्र तो सब्र है.. हर बार नहीं होता…
जिसने कभी एक भी
जिसने कभी एक भी कसम ना निभाई मोहब्बत की…!!! वो मुझे बेवफा और मोहब्बत को बेईमान बता गयी|
बहुत याद करता है
बहुत याद करता है हमें कोई। दिल से ये बहम जाता क्यों नहीं।।
छीन लिया जब
छीन लिया जब ज़िन्दगी ने, ख्वाईशो को मुज से। पैर मेरे खुद-ब-खुद, चादर के अंदर आ गये।
ये भी एक अदा है
ये भी एक अदा है उनकी अदावत की। जब जब हमने रोज़ा रखा, उन्होने दावत दी।
बहुत कुछ बदला है
बहुत कुछ बदला है मैंने अपने आप में लेकिन अभी भी तुम्हें टूटकर चाहना हम नहीं भूल सके है …
एक बार उसने कहा था
एक बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना !!!! बस फिर क्या था,तब से मोहब्बत की नज़र से हमने खुद को भी नहीं देखा|
माना कि मरता नहीं
माना कि मरता नहीं कोई जुदाई में, लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में…
मुझे बहुत प्यारी है
मुझे बहुत प्यारी है तुम्हारी दी हुई हर एक निशानी, चाहे वो दिल का दर्द हो या आँखों का पानी !!