मैरे जख़्म है

मैरे जख़्म है कि ,दिखते नहीं, ये मत समझिये ,की दुःखते नहीं…

शिद्दत ए ग़म

शिद्दत ए ग़म से शर्मिंदा नहीं वफ़ा मेरी रिश्ते जिनसे गहरे हो,जख्म भी गहरे मिलते है |

खतों से तेरे

खतों से तेरे पुराने, आती है वफा की खुशबू , ये तितली तो नही इसको उडाऊं कैसे।

बख्शे हम भी न गए

बख्शे हम भी न गए बख्शे तुम भी न जाओगे, वक्त जानता है हर चेहरे को बेनकाब करना।

रिहाई दे दो

रिहाई दे दो मुझे तुम अपनी यादों की कफस से , कि तेरी यादों के कफस में दम घुटता है मेरा !!

अभी मिलन की राह में

अभी मिलन की राह में ए दिल तन्हाइयो जरा दामन छोड़ दो….!! रुत है सनम से, आँखे चार करने की….!!

हाल तो पूछ लू

हाल तो पूछ लू तेरा पर डरता हूँ आवाज़ से तेरी, ज़ब ज़ब सुनी है कमबख्त मोहब्बत ही हुई है|

मेरे हर जज़्बात से

मेरे हर जज़्बात से वो बहुत आगे निकल गया… मेरा मेहबूब चाँद है. कल आयेगा फिर…. आज ढल गया..

ना मिला कोई

ना मिला कोई तुम जैसा आज तक , पर तकलीफ ये है कि मिले तुम भी नही|

इश्क़ फिर हो जाने की

इश्क़ फिर हो जाने की कोशिश में है मेरी बर्बादी में कुछ कसर बाकी होगी|

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