उम्र भर की

उम्र भर की बात बिगड़ी इक ज़रा सी बात में.. एक लम्हा ज़िंदगी भर की कमाई खा गया

इक तमन्ना के लिए

इक तमन्ना के लिए फिरती है सहरा सहरा, ज़िंदगी रोज़ कोई ख़्वाब नया लिखती है…

हुआ मैं जब से

हुआ मैं जब से अपने सच से वाक़िफ तभी से खुद को झूठा लग रहा हूँ ।

कोई तो टूटा हुआ

कोई तो टूटा हुआ होगा मेरी तरह ही, जो जुड़ने की ख्वाहिश लिए जी रहा होगा अकेला कहीं !!

मोहब्बत थी तो

मोहब्बत थी तो चाँद अच्छा था, उतर गई तो दाग भी दिखने लगे !!

आजकल के दिल

आजकल के दिल बहोत छोटे हो गये है, बहोत जल्द भर जाते है !!

बदल गई है

बदल गई है रुत मेरी इन आँखों की, बरसात होती रहेती है घडी घडी !!

कुछ नहीँ था

कुछ नहीँ था मेरे पास खोने को, जब से मिले हो तुम डर गया हूँ मैँ..

तेरी यादें हर रोज़

तेरी यादें हर रोज़ आ जाती है मेरे पास, लगता है तुमने बेवफ़ाई नही सिखाई इनको..!!

सिर्फ मोहब्बत ही

सिर्फ मोहब्बत ही ऐसा खेल है.. जो सिख जाता है वही हार जाता है..

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