आज तबियत कुछ

आज तबियत कुछ नासाज़ सी लग रही है लगता है किसी की दुआओ का असर हो रहा है|

अब अपना मुझको

अब अपना मुझको कौन लगे शब्दों से प्यारा मौन लगे…..

अकड़ती जा रही हैं

अकड़ती जा रही हैं हर रोज गर्दन की नसें, आज तक नहीं आया हुनर सर झुकाने का ..

कुछ तो है

कुछ तो है जो बदल गया जिन्दगी में मेरी अब आइने में चेहरा मेरा हँसता हुआ नज़र नहीं आता…

कभी किसी के

कभी किसी के जज्बातों का मजाक ना बनाना. ना जाने कौन सा दर्द लेकर कोई जी रहा होगा..

तुम दूर..बहुत दूर हो

तुम दूर..बहुत दूर हो मुझसे.. ये तो जानता हूँ मैं… पर तुमसे करीब मेरे कोई नही है.. बस ये बात तुम याद रखना…

आंखों देखी कहने वाले

आंखों देखी कहने वाले, पहले भी कम-कम ही थे अब तो सब ही सुनी-सुनाई बातों को दोहराते हैं।

चुपचाप गुज़ार देगें

चुपचाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये ज़िन्दगी, लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है।

अपने वजूद पर

अपने वजूद पर इतना न इतरा ए ज़िन्दगी.. वो तो मौत है जो तुझे मोहलत देती जा रही है!!

शायद कुछ दिन

शायद कुछ दिन और लगेंगे, ज़ख़्मे-दिल के भरने में, जो अक्सर याद आते थे वो कभी-कभी याद आते हैं।

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