किसी सहरा में

किसी सहरा में महकता गुलिस्ताँ न हो जाऊँ, हर ऐब सुधार लूँ तो फ़रिश्ता न हो जाऊँ..

बहुत वक़्त बाद

बहुत वक़्त बाद अहसास हुआ.. वो जो छूट गया वो ज़रूरी था..!

मेरे ऐबों को तलाशना

मेरे ऐबों को तलाशना बंद कर दिया है लोगों ने… मैंने तोहफ़े में उन्हें जब से आईना दे दिया है…

मुझसे मोहब्त में

मुझसे मोहब्त में सलाह मांगते है लोग… तेरा इश्क़ मुझे ये तजुर्बा दे गया…

आगे बढ़ना है

आगे बढ़ना है तो आवाज़े सुनी जाती नही !! रास्ता देने का मतलब है की खुद पीछे रहो !!

मुसाफ़िर हो तो

मुसाफ़िर हो तो सुन लो राह में सहरा भी आता है निकल आए हो घर से क्या तुम्हें चलना भी आता है

कुछ उनकी मजबूरियाँ..

कुछ उनकी मजबूरियाँ.. कुछ मेरी कश्मकश.. . . बस यूँ ही एक ख़ूबसूरत कहानी को.. खत्म कर दिया हमने…

कुछ सर्द रातों में

कुछ सर्द रातों में मैंने ख़ुद को ही टुकड़ा टुकड़ा आग में झोंका है

इतने ख़ामोश भी

इतने ख़ामोश भी रहा न करो ग़म जुदाई में यूँ किया न करो ख़्वाब होते हैं देखने के लिए उन में जा कर मगर रहा न करो |

जिस कदर उसकी

जिस कदर उसकी कदर की हमने, उस कदर बेकदर हुए है हम !!

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