तेरी शब मेरे नाम हो जाये नींद मुझ पर हराम हो जाये लौट आता है घर परिन्दा भी इससे पहले कि शाम हो जाये
Tag: जिंदगी शायरी
मैं बुरा हूँ
मैं बुरा हूँ तो बुरा ही सही…. कम से कम शराफत का दिखावा तो नहीं करता..
जो तुम्हारा था
जो तुम्हारा था ही नहीं उसे खोना कैसा,, जब रहना ही है तनहा तो रोना कैसा..
मेरी हर बात का
मेरी हर बात का जवाब रखते हो तुम क्या साथ में कोई किताब रखते हो तुम
मैं बंद आंखों से
मैं बंद आंखों से उसको देखता हूं हमारे बीच में पर्दा नहीं है|
ये सोच कर
ये सोच कर की शायद वो खिड़की से झाँक ले..
दीवार क्या गिरी
दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की.. लोगों ने मेरे आँगन से रास्ते बना लिए…
तुझे पाना ही
तुझे पाना ही मेरी मोहब्बत नहीं है…तेरे अहसास भी मेरे जीने की वजह है ..
हर तकलीफ से
हर तकलीफ से इंसान का दिल दुखता बहुत है,.. पर हर तकलीफ से इंसान सीखता भी बहुत है….!!
अब मौत से
अब मौत से कह दो कि नाराज़गी खत्म कर ले, वो बदल गयी है जिसके लिए हम ज़िंदा थे।