घोंसला बनाने में… यूँ मशग़ूल हो गए.. उड़ने को पंख हैं… हम ये भी भूल गए…
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शख्सियत अच्छी होगी तभी दुश्मन बनेंगे
शख्सियत अच्छी होगी तभी दुश्मन बनेंगे, वरना बुरे की तरफ देखता कौन है..
गरूर तो मुझमे भी था कही ज्यादा
गरूर तो मुझमे भी था कही ज्यादा।। मगर सब टुट गया तेरे रूठने के बाद।।