खुली हवाओं की

खुली हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती है ! कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है !! जो जुर्म करते हैं, इतने बुरे नहीं होते ! सज़ा न दे के अदालत बिगाड़ देती है !!

सिर्फ महसूस करने

आखिर किस कदर खत्म कर सकते है… उनसे रिश्ता..! जिनको सिर्फ महसूस करने से… हम दुनिया भूल जाते है..

हमें उनसे कोई शिकायत

हमें उनसे कोई शिकायत नहीं; शायद हमारी किस्मत में चाहत नहीं! मेरी तकदीर को लिखकर तो ऊपर वाला भी मुकर गया; पूछा तो कहा, “ये मेरी लिखावट नहीं”!

अलग बात है

अलग बात है कि तु मुझे हासिल नहीँ है,, मगर तेरे सिवा कोई मेरे प्यार के काबिल नहीँ है

ज़ीना हराम कर

ज़ीना हराम कर रखा है, “मेरी इन आँखों ने, खुली हो तो तलाश तेरी, बंद हो तो ख्वाब तेरे..

थक गया है

थक गया है गम भी अपनी कलाकारी करते करते, ऐ खुशी तु भी अपना किरदार निभा दे जरा।

अपनी मर्जी से भी दो

अपनी मर्जी से भी दो चार कदम चलने दे ऐ जिंदगी, तेरे कहने पे तो बरसों चल रहे है…..

वो साथ थे

वो साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लबों से, दूर क्या हुए कलम ने क़हर मचा दिया..!!

मुझे मौत में जीवन

मुझे मौत में जीवन के- फूल चुनना है अभी मुरझाना टूटकर गिरना और अभी खिल जाना है कल यहाँ- आया था कौन, कितना रहा इससे क्या ? मुझे आज अभी लौट जाना है मेरे जाने के बाद लोग आएँ अरथी सँभालें काँधे बदलें इससे पहले मुझे खुद सँभलना है. मौत आये और जाने कब आये… Continue reading मुझे मौत में जीवन

कभी फूलों की तरह

कभी फूलों की तरह मत जीना, जिस दिन खिलोगे…,, टूट कर बिखर जाओगे । जीना है तो पत्थर की तरह जियो; जिस दिन तराशे गए… “खुदा” बन जाओगे

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