कौन शर्मा रहा है यूं फुर्सत में हमें याद कर कर के, हिचकियाँ आना चाह रही हैं पर हिचकिचा रही हैं।
Tag: प्यार शायरी
किताबों की तरह हैं
किताबों की तरह हैं हम भी…. अल्फ़ाज़ से भरपूर, मगर ख़ामोश…
आज भी मुझसे कहते है
कितने ऐबों से छुपा रखा है मेरे “रब” ने मुझे. लोग आज भी मुझसे कहते है, “हमारे लिए दुआ करना|
देख के याद आया
कल तुझे देख के याद आया हम भी कभी तेरे हुआ करते थे|
उसूलों पर अगर आ जाये
उसूलों पर अगर आ जाये, तो टकराना जरुरी है! जिन्दा हो तो जिन्दा नज़र आना जरुरी है।
धूप बर्दाश्त करना सीख़ लो
अब ये धूप बर्दाश्त करना सीख़ लो .. अब वो जुल्फे गैर हवाओं में लहराने लगी है..
तुम रख ही ना सकीं
तुम रख ही ना सकीं मेरा तोफहा सम्भालकर मैंने दी थी तुम्हे,जिस्म से रूह निकालकर|
किसी से प्यार ना करना
एक बार उसने कहा था मेरे सिवा किसी से प्यार ना करना !!!! बस फिर क्या था,तब से मोहब्बत की नज़र से हमने खुद को भी नहीं देखा
पहली खता तुम हो
तुम्हे भूलू कैसे मैं… मेरी पहली खता तुम हो
मरता नहीं कोई जुदाई में
माना कि मरता नहीं कोई जुदाई में, लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में…