आँख पर शीशा

आँख पर शीशा लगाया है कि महफ़ूज़ रहे…..!!! तेरी तस्वीर जो पानी में बनाई हुई है…..!!!

मैं ख्वाहिश बन जाऊँ

मैं ख्वाहिश बन जाऊँ और तू रूह की तलब बस यूँ ही जी लेंगे दोनों मोहब्बत बनकर.

कल फिर जो तुमको देखा

कल फिर जो तुमको देखा दीवार की ओंट से ज़िन्दगी फिर मुस्कुरा उठी नजरों की चोट से

रंग उन अनकही बातो का

रंग उन अनकही बातो का आज भी हरा है जाने कितने पतझड बीत गये….

कुछ देर के सवालो मे..!

उलझा उनको कुछ देर के सवालो मे..! हमने जी भर के देख लिया उनको..!!

मोहब्बत सिर्फ देखने से

मोहब्बत सिर्फ देखने से नहीं, कभी कभी बातो से भी हो जाती है…

जिन पर लुटा चूका था

जिन पर लुटा चूका था मैं दुनिया की दौलतें उन वारिसों ने मुझको कफ़न नाप कर दिया

हम तो बस

हम तो बस सवाल है जवाब अगर नही है,,तो आपका

अब हवाएँ ही

अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला…जिस दिए में जान होगी,, वो दिया रह जाएगा

जहाँ कुछ दर्द

जहाँ कुछ दर्द का मज़कूर होगा… हमारा शेर भी मशहूर होगा..

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