हम ने तो वफ़ा के लफ़्ज़ को भी वजू के साथ छूआ जाते वक़्त उस ज़ालिम को इतना भी ख़याल न हुआ |
Tag: प्यारी शायरी
मुल्क़ ने माँगी थी
मुल्क़ ने माँगी थी उजाले की एक किरन.. निज़ाम ने हुक़्म दिया चलो आग लगा दी जाय..!!
उनको मेरी आँखें पसंद है
उनको मेरी आँखें पसंद है, और मुझे खुद कि आँखों में वो|
कहाँ मिलता है
कहाँ मिलता है कोई समझने वाला जो भी मिलता है, समझाकर चला जाता है…
लोग कहते हैं
लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं, मैं अरसे से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर….
खामोश रहने दो
खामोश रहने दो लफ़्ज़ों को, आँखों को बयाँ करने दो हकीकत, अश्क जब निकलेंगे झील के, मुक़द्दर से जल जायेंगे अफसाने..
मैं मुसाफ़िर हूँ
मैं मुसाफ़िर हूँ ख़तायें भी हुई होंगी मुझसे, तुम तराज़ू में मग़र मेरे पाँव के छाले रखना..
आज़ाद कर दिया
आज़ाद कर दिया हमने भी उस पंछी को, जो हमारी दिल की कैद में रहने को तोहीन समजता था ..
परिन्दों की फिदरत से
परिन्दों की फिदरत से आये थे वो मेरे दिल में , जरा पंख निकल आये तो आशियाना छोड़ दिया ..
वो जब अपने हाथो की
वो जब अपने हाथो की लकीरों में मेरा नाम ढूंढ कर थक गये, सर झुकाकर बोले, लकीरें झूठ बोलती है तुम सिर्फ मेरे हो..