तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया हूँ, उस के बाद मुझे कोई अजनबी नहीं मिला|
Tag: प्यारी शायरी
कोशिश करता हूँ
कोशिश करता हूँ कि अंधेरे खत्म हो लेकिन, कहीं जुगनू नही मिलता, कहीं चाँद अधूरा है।
उसे जो लिखना होता है
उसे जो लिखना होता है, वही वो लिख के रहती है, क़लम को सर कलम होने का कोई डर नहीं होता।
उस ज़ुल्फ़ के फंदे
उस ज़ुल्फ़ के फंदे से निकलना नहीं मुमकिन, हाँ माँग कोई राह निकाले तो निकाले|
इस दुनिया में
इस दुनिया में कुछ अच्छा रहने दो, बच्चों को बस बच्चे रहने दो|
आज लफ्जों को
आज लफ्जों को मय पीने बुलाया है, बात बन गयी तो जरूर गजल होगी ।
पढ़ते क्या हो
पढ़ते क्या हो आंखों में मेरी कहानी…. मस्ती में मगन रहना तो आदत है मेरी पुरानी…
बहुत से कर्ज हैं
बहुत से कर्ज हैं चुकाने ऐ उम्र जरा ठहर जा। बात मान ले मेरी अब तो तू घर जा।
मैं क्यों कहूँ
मैं क्यों कहूँ उससे की मुझसे बात करो..! . क्या उसे नहीं मालूम की उसके बिना मेरा दिल नहीं लगता ….!!!!
सोचता हूं जिन्दा हूं
सोचता हूं जिन्दा हूं, मांग लूं सब से माफी, ना जाने मारने के बाद, कोई माफ करे या न करे|