इक़रार ए मोहब्बत

इक़रार ए मोहब्बत पे जो ख़ामोशी ओढ़ लेते हैं उन्हीं लबों पे इक दिन खिलेंगे गुलाब आहिस्ता आहिस्ता

भले कितना ही

किसी की आस बनकर फिर उसे तन्हा नहीं करते, भले कितना ही मुश्किल हो, सफर छोङा नहीं करता..

तुजसे ही है

नामुमकिन” ही सही मगर, महोब्बत” तुजसे ही है

किसी से कम नहीं

किसी से कम नहीं होते, महबूब की आगोश में गुज़रते है जो पल !!

अजीब क़िस्से हैं

वक़्त के अपने भी कैसे अजीब क़िस्से हैं, मेरा कटता नहीं और उनके पास होता .नही…..!!

कमाल करता है

कमाल करता है ….ऐ दिल तू भी… उसे फुरसत नहीं और,,,तुझे चैन नहीं..!!

दर्द होता हैं

सुनो, तुम अब बस करो, लफ्जों से चोट मत दो; दर्द होता हैं वहाँ, जहाँ तुम रहते हो…..

दिल खामोश सा

दिल खामोश सा रहता है आज कल, मुझे शक है कही मर तो नही गया है ये !!

खुश करने का मौका

किसी को खुश करने का मौका मिले तो खुदगर्ज ना बन जाना बड़े नसीब वाले होते है वो, जो दे पाते है मुस्कान किसी चेहरे पर दूध का सार है मलाई मे और जिंदगी का सार है भलाई में

क्यूँ मुश्किलों में

चंद लाइने मेरे प्यारे से दोस्तों के नाम:- “क्यूँ मुश्किलों में साथ देते हैं, “दोस्त” “क्यूँ गम को बाँट लेते हैं, “दोस्त” “न रिश्ता खून का न रिवाज से बंधा है। “फिर भी ज़िन्दगी भर साथ देते हैं, “दोस्त”

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