इक़रार ए मोहब्बत पे जो ख़ामोशी ओढ़ लेते हैं
उन्हीं लबों पे इक दिन खिलेंगे गुलाब आहिस्ता
आहिस्ता
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इक़रार ए मोहब्बत पे जो ख़ामोशी ओढ़ लेते हैं
उन्हीं लबों पे इक दिन खिलेंगे गुलाब आहिस्ता
आहिस्ता