ज़माना हो गया बिस्मिल, तेरी सीधी निगाहों पे ,
खुदा ना ख्वास्ता, तिरछी नज़र होती, तो क्या होता !!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़माना हो गया बिस्मिल, तेरी सीधी निगाहों पे ,
खुदा ना ख्वास्ता, तिरछी नज़र होती, तो क्या होता !!!