इश्क़ से खुद को बचाते रहे
उन से नज़रें चुराते रहे
जब-जब नाम आया उनका होठों पर
बोलने से हम कतराते रहे
उन पर दिन-ब-दिन कविता बनाते रहे
पर न जाने किस बात से घबराते रहे
क्या बताएं हाल-ए-दिल आपको
न चाहते हुए भी उन्हें चाहते रहे|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इश्क़ से खुद को बचाते रहे
उन से नज़रें चुराते रहे
जब-जब नाम आया उनका होठों पर
बोलने से हम कतराते रहे
उन पर दिन-ब-दिन कविता बनाते रहे
पर न जाने किस बात से घबराते रहे
क्या बताएं हाल-ए-दिल आपको
न चाहते हुए भी उन्हें चाहते रहे|