अब की बार

अब की बार एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है….. कोई मुझे टूट कर चाहे और मै बेवफा निकलू…

तबाही नहीं मचाता

दुनिया में कोई पागल हाथी भी इतनी तबाही नहीं मचाता, जितना कि…… एक “बेक़ाबू मन” ।।

जंगल के उसूल

जंगल के उसूल वही जानते है जिनकी यारी शेरों के साथ होती है..!!

हम ये नहीं चाहते

हम ये नहीं चाहते की कोई आपके लिए ‘दुआ’ ना मांगे हम तो, बस इतना चाहते है की कोई ‘दुआ में ‘आपको’ ना मांगे ….!

मॊहब्बत यू ही

मॊहब्बत यू ही किसी से हुआ नहीं करती… अपना वज़ूद भुलाना पड़ता है,किसी को अपना बनाने के लिए…॥

कैसे हो सकता है

कैसे हो सकता है होनी कह के हम टाला करें और ये दुश्मन बहू-बेटी से मुँह काला करे

बस यही तोहफा है

इस मतलबी दुनिया का, बस यही तोहफा है । खूब लुटाया अपनापन फिर भी,जाने क्यों लोग खफा हैं ।

मिल जाए मुझे

मिल जाए मुझे सबकुछ” ये दुआ देकर चला गया.. और मुझे बस वो चाहिए था.. जो ये दुआ देकर चला गया…

अब इतना भी

अब इतना भी सादगी का ज़माना नहीं रहा के तुम वक़्त गुज़ारो और हम प्यार समझें ।।।।।

जिन्होंने याद रखा

जिन्होंने याद रखा उनको सलाम जो भूल गए उनका शुक्रिया

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