कभी साथ बैठो

कभी साथ बैठो तो कहूँ की क्या दर्द है मेरा…… तुम दूर से पूछोगे तो खैरियत ही कहेगे …

आओ बताता हूँ…

आओ बताता हूँ… अपने दर्द कॊ क्यों नही दर्शाता हूँ… साहेब घर चलाना पड़ता है… इसलिए हर अपमान अपना सह जाता हूँ…

समंदर ने कहा

समंदर ने कहा मुझको बचा लो डूबने से… मैं किनारे पे समन्दर लगा के आया हूँ…

उसके जैसी कोई

उसके जैसी कोई दूसरी कैसे हो सकती है, अब तो वो खुद भी खुद के जैसी नहीं रही !!

अगर समझ पाते

अगर समझ पाते तुम मेरी चाहत की इन्तेहा तो, हम तुमसे नही, तुम हमसे मुहब्बत करते… !!

आ बैठ मेरे पास

आ बैठ मेरे पास बरबाद अब कुछ रातें करते हैं बन जा तू शब्द मेरे फिर दिल की, दिल से कुछ बातें करते हैं……

इश्क़ के आगोश में

इश्क़ के आगोश में आने वालों सुनो, नींद नहीं आती बिना महबूब की बाहों के..

चलो तबाह ही सही…

खैर कुछ तो किया उसने… चलो तबाह ही सही…

तू चाँद का टुकड़ा नहीं

तू चाँद का टुकड़ा नहीं, चाँद तेरा टुकड़ा है । टूटते तारे नहीं, फ़िदा होते सितारे देख तेरा मुखड़ा है । ख़ूबसूरती देख तेरी अप्सरा का दिल जलन से उखड़ा है दुनिया में तेरे वजूद से, स्वर्ग भी लगता उजड़ा है ।

जो कोई समझ न सके

जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम, जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम, छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर, जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम।

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