वो मेरे चेहरे तक अपनी नफ़रतें लाया तो था, मैंने उसके हाथ चूमे और बेबस कर दिया !
Category: Urdu Shayri
पीठ भी दर्द करने लगी
लोग पीठ पीछे इतनी बुराई करते हैं कि अब तो पीठ भी दर्द करने लगी
ऐसा तरीका ढूंढते हैं
चलो कोई ऐसा तरीका ढूंढते हैं, मन्द हवा भी चले और दिए भी जले।
खुश हूँ तेरे बिना पर
खुश हूँ तेरे बिना पर आंसू ही गिर पड़े आँखों से लिखने से पहले।
क़ैद न कर पाओगे
क़ैद न कर पाओगे, हवा हूँ मैं, एक दिन उड़ जाऊँगा ढूँढा करोगे, नज़र न आऊँगा ख़ाक में मिल जाऊँगा..
ख़ुद गुलाब हो कर
ख़ुद गुलाब हो कर तुम गुलाब छूती हो , कितनी क़यामतें बरपा करना चाहती हो..??
उसे भी खिड़कियाँ खोले
उसे भी खिड़कियाँ खोले ज़माना बीत गया मुझे भी शामो-सहर का पता नहीं चलता
होगी मजबूरी कोई
होगी मजबूरी कोई वजह मानता हूँ, मैं जुबां तेरी साँसों की जानता हूँ।।
सफर कहाँ से
सफर कहाँ से कहाँ तक पहुँच गया मेरा.. रुके जो पांव….तो कांधो पे जा रहा हूँ मैं..
लहज़ा शिकायत का था
लहज़ा शिकायत का था मगर, सारी महफिल समझ गयी मामला मोहब्बत का है !!