जो कोई समझ न सके

जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम, जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम, छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर, जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम।

हो सकता है

हो सकता है की मैं तेरी खुशियाँ बाँटने ना आ सकू, गम आये तो खबर कर देना वादा है की सारे ले जाऊँगा

मुझे मालूम है

मुझे मालूम है उड़ती पतंगों की रवायत.. गले मिलकर गला काटूँ मैं वो मांझा नहीं..

कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब

कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब सोचिये ! पाठशाला से ज्यादा तो मधुशाला हैं इस शहर मे

नहीं ज़रूरत मुझे

नहीं ज़रूरत मुझे तुम्हारी अब, ख्यालात तुम्हारे काफ़ी है….. तुम क्या जानो इस मस्ती को, अहसास तुम्हारे काफ़ी है……

धीमी-धीमी नस चलें

धीमी-धीमी नस चलें, रुक-रुक करके श्वास। जीने की अब ना रही, थोड़ी सी भी आस।।

पूरी दुनिया खोज लो

पूरी दुनिया खोज लो हमसे बड़ा न वीर हमने खुद ही डाल लीं पांवों में जंजीर |

रह रह कर मुझको

रह रह कर मुझको रुलाती है वो , आसमां से मुझको बुलाती है वो।

इक तमन्ना के लिए

इक तमन्ना के लिए फिरती है सहरा सहरा……!! ज़िंदगी रोज़ कोई ख़्वाब नया लिखती है…!!

न रुकी वक़्त की गर्दिश

न रुकी वक़्त की गर्दिश और न ज़माना बदला…… पेड़ सूखा तो परिन्दों ने भी ठिकाना बदला……

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