चाँद रोज़ छत पर

चाँद रोज़ छत पर आकर इतराता बहुत है … कल रात , मैं भी तेरी तस्वीर दिखा दूँगी !!!

जिस्म हूँ खोखला सा

जिस्म हूँ खोखला सा मैं… मेरी रूह कोई और है पी लेता हूँ मय के प्याले दो… पर नशा तो मेरा कोई और है

दुपट्टा क्या रखलिया

दुपट्टा क्या रखलिया उसने सर पर . वो दुल्हन नजर आने लगी उसकी तो अदा हो गई और जान लोगो की जाने लगी|

तुम न लगा पाओगे

तुम न लगा पाओगे अंदाज़ा मेरी उदासी का…. तुमने मुझे देखा ही कहाँ है शाम गुज़रने के बाद !!

तुम वाकिफ नही

तुम वाकिफ नही हो मेरी बेताबी से… इसलिए सब्र की बात करते हो… मेरी नज़रे तो उन राहो को भी चूमती है.. जहाँ से तुम एक बार निकलते हो!!

संगमरमर के महल में

संगमरमर के महल में तेरी ही तस्वीर सजाऊंगा; मेरे इस दिल में ऐ प्यार तेरे ही ख्वाब सजाऊंगा; यूँ एक बार आजमा के देख तेरे दिल में बस जाऊंगा; मैं तो प्यार का हूँ प्यासा जो तेरे आगोश में मर जाऊॅंगा।

सामने बैठे रहो

सामने बैठे रहो दिल को करार आएगा…! जितना देखेंगे तुम्हें उतना ही प्यार आएगा….!!!

अधूरी सी दास्तान

अधूरी सी दास्तान अब पूरी लगती है… तेरे नाम की साँसे मुझमें ज़रूरी लगती हैं !!

उम्मीदों की दुनियां

हम उम्मीदों की दुनियां बसाते रहे; वो भी पल पल हमें आजमाते रहे; जब मोहब्बत में मरने का वक्त आया; हम मर गए और वो मुस्कुराते रहे।

सब कुछ मिला

सब कुछ मिला सुकून की दौलत न मिली; एक तुझको भूल जाने की मोहलत न मिली; करने को बहुत काम थे अपने लिए मगर; हमको तेरे ख्याल से कभी फुर्सत न मिली।

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